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Happiness
July 3, 2017
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TRUTH
July 8, 2017

पानी

pani

मुझे भी पानी बनना है,
बूँद बूँद जुड़ एक दिन समंदर बनना है…

जैसे निस्छल निस्वार्थ है वो,
मुझे भी इतना निर्मल बनना है…
जितनी सहजता से नकारात्मकता को समा लेता है,
मुझे भी वैसा सहनशील दरिया बनना है…

मुझे भी पानी बनना है,
बूँद बूँद जुड़ एक दिन समंदर बनना है…

स्वाभाव में है जिसके नदी बन बहते रहना ,
मुझे भी ऐसा अग्रसर राही बनना है…
जैसे वो पत्थर पर चोट कर रास्ता बना लेता है,
मुझे भी वैसा बहादुर सैनिक बनना है…

मुझे भी पानी बनना है,
बूँद बूँद जुड़ एक दिन समंदर बनना है…

जैसे वो शहर शहर सफ़र तय करता है,
मुझे भी यूँही अपनी मंज़िलो का रास्ता तय करना है…
जैसे वो ऊँचे पहाड़ो से गिरकर भी संभाल जाता है,
मुझे भी मुश्किल वक़्त से हंसकर निकलना है…

मुझे भी पानी बनना है,
बूँद बूँद जुड़ एक दिन समंदर बनना है..

जैसे वो गर्मी मे सबको ठंडक देता है,
मुझे भी उस सा शीतल बनना है…
जैसे नाम है उसका दुनिया में,
मुझे भी मेरा नाम अमर करना है…

मुझे भी पानी बनना है,
बूँद बूँद जुड़ एक दिन समंदर बनना है..

8 Comments

  1. Avatar Garima says:

    Toooooo gud….superb

  2. Avatar gaurav says:

    Woooow beautiful poem

  3. Avatar sanjeev says:

    Ati sudar….god bless u

  4. Avatar Gunjan sharma says:

    Superb……keep it up

  5. Avatar Sandhya says:

    Wow.. awesome poem ever read .. superb anjali Sharma 👌

  6. Avatar Abhishek dubey says:

    Very deep thought …awesome dear😊👍🏻

  7. Avatar Queen Maryan says:

    It’s just Awesome..👍

  8. Avatar Sunil says:

    Jabardast!!!!!!!!!!!!!!

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